मनरेगा (MGNREGA), जिसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम कहा जाता है, भारत सरकार द्वारा लागू की गई एक सामाजिक योजना है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण इलाकों के गरीब परिवारों को कम से कम 100 दिन का रोजगार प्रदान करना है। यह योजना भारत के सबसे कमजोर परिवारों को आर्थिक सुरक्षा देने के लिए बनाई गई थी। हालांकि, Manrega Me Kitne Din Ka Rojgar Milta Hai के तहत रोजगार की अवधि 100 दिन तय की गई है, लेकिन राज्यवार यह औसत समय कुछ भिन्न हो सकता है।
Manrega Me Kitne Din Ka Rojgar Milta Hai:
मनरेगा योजना के तहत नागरिकों को प्रतिवर्ष 100 दिन का रोजगार देने की गारंटी है। हालांकि, कई राज्यों में इसे बढ़ाकर 125 दिन तक किया जाता है। उदाहरण के लिए, राजस्थान में 100 दिनों के बाद अतिरिक्त 25 दिन का रोजगार दिया जा सकता है। विभिन्न राज्यों में यह अलग-अलग होता है, लेकिन सामान्यतः यह 100 दिन से कम नहीं होता।
बजट 2024 में मनरेगा को लेकर बदलाव की संभावना:
केंद्र सरकार ने आगामी बजट में Manrega Me Kitne Din Ka Rojgar के समय को बढ़ाने की मांग पर विचार किया है। कुछ व्यापारिक और श्रमिक संगठनों ने प्रस्तावित किया है कि Manrega Me Kitne Din Ka Rojgar समय को बढ़ाकर 200 दिन किया जाए। यदि यह प्रस्ताव पास होता है, तो इससे ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत लाखों मजदूरों को लाभ होगा।
राज्यवार रोजगार की स्थिति:
मनरेगा के तहत विभिन्न राज्यों में रोजगार के अवसर व Manrega Me Kitne Din Ka Rojgar अलग-अलग होते हैं। उदाहरण के लिए, हरियाणा में मजदूरी की दर सबसे अधिक, ₹374 प्रति दिन है, जबकि अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड में यह ₹234 प्रति दिन है। इसके अतिरिक्त, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में मजदूरी की दर ₹243 से ₹266 प्रति दिन के बीच होती है।
मनरेगा के तहत काम कैसे मिलता है?
मनरेगा के तहत काम प्राप्त करने के लिए आपको एक रोजगार कार्ड (Job Card) की आवश्यकता होती है। यह कार्ड ग्राम पंचायत से जारी किया जाता है। आवेदन करने के बाद यदि आपकी पात्रता प्रमाणित होती है, तो आपको काम दिया जाता है। इसमें ये भी बताया जाता है की Manrega Me Kitne Din Ka Rojgar मिलेगा | इसमें 5 किलोमीटर के दायरे में रोजगार देने की व्यवस्था है, ताकि श्रमिकों को दूरदराज के क्षेत्रों में न जाना पड़े।
मनरेगा का काम 4 केटेगरी में डिवाइड होता है
- नेचुरल रिसोर्स मैनेजमेंट
- वर्क्स फॉर वल्नरेबल सेक्शंस
- इंफ्रास्ट्रक्चर बिल्डिंग
- रूरल डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स.
महामारी के दौरान मनरेगा की भूमिका:
कोविड-19 महामारी के दौरान, जब अन्य रोजगार के अवसर लगभग समाप्त हो गए थे, तब मनरेगा ने लाखों प्रवासी श्रमिकों को राहत दी। इसके तहत अतिरिक्त बजट आवंटित किया गया था, जिससे योजना को एक बड़ा सहारा मिला। हालांकि, महामारी के दौरान भी लगभग 39% परिवारों को काम नहीं मिला था, लेकिन जो परिवार काम पर थे, उन्होंने अपनी आय के नुकसान की 20-80% भरपाई की।
महिलाओं के लिए मनरेगा:
मनरेगा में महिलाओं को प्राथमिकता दी जाती है और इस योजना के तहत 1/3 महिलाएं काम करने वाली होती हैं। महिलाओं के लिए पंजीकरण और काम पाने की प्रक्रिया को भी सरल और पारदर्शी बनाया गया है। आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं की भागीदारी लगातार 53% से अधिक रही है।
मनरेगा की प्रासंगिकता:
मनरेगा ने भारत में सबसे कमजोर तबके को एक सुरक्षित आय का स्रोत प्रदान किया है, खासकर ग्रामीण इलाकों में। हालांकि, इस योजना को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा है, जैसे मजदूरी में कमी, बजट का असंतुलन, और भुगतान में देरी, फिर भी यह योजना आज भी ग्रामीण श्रमिकों के लिए एक अहम सुरक्षा नेटवर्क है।
निष्कर्ष रूप में, Manrega Me Kitne Din Ka Rojgar अवधि 100 दिन तक होती है, लेकिन विभिन्न राज्यों में यह अधिक भी हो सकता है। आने वाले बजट में इस अवधि को बढ़ाकर 200 दिन करने की संभावना जताई जा रही है, जिससे इस योजना के प्रभाव को और अधिक बढ़ावा मिलेगा।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS) के मुख्य उद्देश्य क्या हैं?
ग्रामीण परिवारों को प्रति वर्ष कम से कम 100 दिन का अकुशल शारीरिक कार्य प्रदान करना, जिससे उत्पादक, टिकाऊ संपत्तियों का निर्माण हो सके। गरीबों की आजीविका के संसाधनों को मजबूत करना। सामाजिक समावेशन को बढ़ावा देना। पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत करना।
मनरेगा के लक्ष्य क्या हैं?
मनरेगा के लक्ष्यों में शामिल हैं:
i) मजदूरी रोजगार के अवसर सुनिश्चित करना
ii) टिकाऊ संपत्ति बनाने वाले मजदूरी रोजगार के माध्यम से ग्रामीण गरीबों की आजीविका सुरक्षा बढ़ाना। iii) ग्रामीण क्षेत्रों के प्राकृतिक संसाधन आधार का कायाकल्प करना।
iv) टिकाऊ और उत्पादक ग्रामीण संपत्ति का निर्माण।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम भारतीय संसद द्वारा कब पारित किया गया था?
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 23 अगस्त 2005 को भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया था।
Manrega Me Kitne Din Ka Rojgar Milta Hai?
Manrega का उद्देश्य ग्रामीण इलाकों के गरीब परिवारों को कम से कम 100 दिन का रोजगार प्रदान करना है।